Ganit ke sabhi sutra:- नमस्कार दोस्तों, गणितीय सूत्रकोश महत्वपूर्ण पुस्तक है| इस पुस्तक में गणित विषय के सभी पाठ्यक्रमों के सूत्र उपलब्ध कराए गए हैं| इस पुस्तक को विशेष रूप से सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया गया है|
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यह पुस्तक सभी प्रतियोगी परीक्षाओं एवं हिंदी इंग्लिश माध्यम से छात्रों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है| Bihar Board, Jharkhand Board, UP Board, CBSE Board, ICSC Board के सभी छात्रों एवं SSC, UPSC, UPSSSC, RRB (Railway), Bank, MPSC, RPSC, BPSC, UPPSC इत्यादि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए समान रूप से उपयोगी है|
यह पुस्तक Class 6 – 12th तक एवं सभी प्रतियोगी परिक्षर्थियों के लिए समानरूप से उपयोगी है|
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Ganit ke sabhi sutra PDF for competitive exams
गणित को सबसे कठिन माना जाता है लेकिन एक ताज़ा शोध में पता चला है कि गणित के सूत्र में मौजूद अंकों और अक्षरों का जटिल सिलसिला मस्तिष्क में आनंद की वैसी ही अनुभूति पैदा करता है, जैसी एक शानदार कलाकृति को देखकर या महान संगीतज्ञों का संगीत सुनकर पैदा होती है.
शोधकर्ताओं ने पाया कि कला को सराहने में मस्तिष्क का जो हिस्सा सक्रिय होता है वही हिस्सा ‘सुंदर’ गणित से उत्प्रेरित होता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि सुंदरता के न्यूरोबायोलाजिकल कारण हो सकते हैं.
हालांकि यूलर और पाइथागोरस के गणितीय सूत्रों को शायद ही कभी मोजार्ट, शेक्सपियर और वॉन गॉग के समानांतर रखा जाता है.
ब्रेन स्कैन से पता चला है कि जो गणितीय सूत्र जितने अधिक ‘सुंदर’ आंके गए थे, वे उतना ही अधिक मस्तिष्क हलचल पैदा करने में सफल रहे.
शायद पहली बार देखने वालों के लिए यूलर के गणितीय फार्मूले में इतनी सुंदरता न दिखे लेकिन अध्ययन में पता चला है कि गणितज्ञों का यह सबसे पसंदीदा रहा.
इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिक्स एंड इट्स अप्लीकेशन से जुड़े प्रोफेसर डेविड पर्सी का भी यही पसंदीदा फार्मूला है.
वो बताते हैं, ”यही असली क्लासिक है और आप इससे बेहतर कुछ और नहीं कर सकते.”
वे कहते हैं, ”यह देखने में जितना ही सामान्य सा है उतना ही अथाह है. इसमें पांच महत्वपूर्ण गणितीय नियतांक हैं- शून्य, 1, ई, पाई और आई (बुनियादी काल्पनिक नंबर).”
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इस सूत्र में गणित के तीन मूल क्रियाएं शामिल हैं, योग, गुणन और घातांक.
वे कहते हैं, ”शुरू में आपको इसकी जटिलता का आभास नहीं होगा. इसका धीरे-धीरे असर होता है. उसी तरह जैसे आप संगीत सुन रहे हों लेकिन जब इसकी संभावना से आप रूबरू होंगे, अचानक ही आप हैरत में पड़ जाएंगे.”
इस अध्ययन में श्रीनिवास रामानुजन के गणितीय सूत्र (इनफाइनाइट सिरीज) और रीमैन के फंक्शनल इक्वेशन को सबसे अप्रिय सूत्रों में शुमार किया गया है.
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उपकार गणितीय सूत्रकोश में सभी गणितीय विषयों के सूत्र दिए गए हैं
इस पुस्तक में निम्नलिखित विषय सूची दी गई है जिस पर सभी प्रकार के सूत्रों का विवरण दिया गया है-
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अंकगणित
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बीजगणित
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त्रिकोणमिति
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सांख्यिकी
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रेखा गणित
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निर्देशांक ज्यामिति
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क्षेत्रमिति
इन सभी अध्यायों के सूत्र उपलब्ध कराए गए हैं और साथ ही साथ गणितीय सांकेतिक चिन्ह के नाम हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा में बताए गए हैं एवं किसी भी सूत्र को बनाना एवं सूत्रों पर निर्माण का तरीका भी दर्शाया गया है| Ganit ke sutra For All Competitive Exams PDF यह maths formula पुस्तक अंकगणित गणित सूत्र pdf download करने के लिए नीचे दिए गए link पर click करें |
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क्षेत्रमिति
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आयत, वर्ग, चतुर्भुज, त्रिभुज, षट्भुज, बहुभुज
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वृत्त की क्षेत्रमिति
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ठोस पिंडों का आयतन एवं क्षेत्रमिति
आयत (Rectangle) :- वह चतुर्भुज जिसकी आमने-सामने की भुजाएं समान हो तथा प्रत्येक कोण समकोण (90º) के साथ विकर्ण भी समान होते हैं।
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आयत का क्षेत्रफल = लम्बाई (l) × चौड़ाई (b)
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आयत का परिमाप = 2 (लम्बाई + चौड़ाई)
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कमरे की चार दीवारों का क्षेत्रफल = 2 (लम्बाई + चौड़ाई) × ऊंचाई
वर्ग (Square) :- उस चतुर्भुज को वर्ग कहते हैं, जिनकी सभी भुजाएं समान व प्रत्येक कोण समकोण है।
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वर्ग का क्षेत्रफल = (भुजा)2 (विकर्ण)2
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Square का विकर्ण = भुजा
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वर्ग का परिमाप = 4 × (भुजा)2
(नोटः यदि किसी वर्ग का क्षेत्रफल = आयत का क्षेत्रफल हो, तो आयत का परिमाप सदैव वर्ग के परिमाप से बड़ा होगा।)
समानांतर चतुर्भुज (Parallelogram) :- जिस चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएं समानांतर व समान हो वह समानांतर चतुर्भुज कहलाता है। समानांतर चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं। एक विकर्ण समानांतर चतुर्भुज को दो समान त्रिभुजों में बांटता है।
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समानांतर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊंचाई
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समानांतर चतुर्भुज का परिमाप = 2 × आसन्न भुजाओं का योग
समचतुर्भुज (Rhombus) :- उस समानान्तर चतुर्भुज को समचतुर्भुज कहते हैं जिसकी सभी भुजाएं समान हो तथा विकर्ण परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हों, पर कोई कोण समकोण न हो।
समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = विकर्णों का गुणनफल
समचतुर्भुज का परिमाप = 4 × एक भुजा
समलम्ब चतुर्भुज (Trapezium) :- जिस चतुर्भुज की एक जोड़ी समानांतर हो, अन्य जोड़ी भुजाएं असमानांतर हो, तो वह समलम्ब चतुर्भुज होता है।
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समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल = समानांतर भुजाओं का योग × ऊंचाई
विषमकोण समचतुर्भुज (Rhombus) :- वैसा चतुर्भुज जिसकी चारों भुजा आपस में समान हो तथा आमने-सामने की भुजा आपस में समानांतर हो, वह विषमकोण समचतुर्भुज कहलाता है।
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समचतुर्भुज का परिमाप = 4 × भुजा
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समचतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊंचाई
इस चतुर्भुज में आमने-सामने का कोण समान होता है तथा इसके विकर्ण एक-दूसरे को समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
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रेखागणित
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रेखा व कोण
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त्रिभुज
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चतुर्भुज
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वृत्त
वृत्त (Circle) :- वृत्त बिंदुओं को एक बिंदुपथ है जिसमें एक स्थिर बिंदु से घूमने वाली एक-दूसरे बिंदु के मध्य की दूरी समान होती है, स्थिर बिंदु वृत्त का केंद्र कहलाता है ।
त्रिज्या (Radius) :- वृत्त के केंद्र से परिधि को मिलाने वाली सरल रेखा त्रिज्या कहलाती है।
व्यास (Diameter) :- वृत्त की परिधि से चलकर वृत्त की दूसरी परिधि के कोने को छूने वाली वह रेखा, जो वृत्त के केंद्र से गुजरती है, व्यास कहलाती है।
जीवा/चापकर्ण (Chord) :- किसी वृत्त की परिधि के किन्हीं दो बिंदुओं को मिलाने वाली रेखा-खण्ड वृत्त की जीवा कहलाती है।
त्रिज्याखण्ड (Sector) :- किसी वृत्त की दो त्रिज्याएं एवं उसके अंतर्गत चाप से बनी आकृति को त्रिज्याखण्ड कहते हैं।
वृत्तखण्ड (Segment) :- किसी वृत्त की जीवा व चाप से घिरे क्षेत्र को वृत्तखण्ड कहते हैं। यहां छायांकित भाग वृत्तखण्ड है।
संकेंद्रीय वृत्त (Concentric Circle) :- यदि दो या दो से अधिक वृत्तों का केंद्र एक ही हों, तो उन वृत्तों को संकेंद्रीय वृत्त कहते हैं।
सूत्रः–
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वृत्त का क्षेत्रफल = πr2
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वृत्त की परिधि = 2πr
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त्रिज्याखण्ड का क्षेत्रफल (चाप AB) × r (जहां θ = केंद्रीय कोण)
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संकेंद्रीय वृत्तों के वलय का क्षेत्रफल = π (r2 – r2)
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अर्द्धवृत्त का परिमाप = (π + 2) r
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Important Points:-
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किसी आयताकार/वर्गाकार/वृत्ताकार मैदान के चारों ओर दौड़ने/तार बिछाने से संबंधित प्रश्नों में उनकी परिमाप ज्ञात करना आवश्यक होता है।
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एक वर्ग व उसी वर्ग के विकर्ण पर खींचे गए एक अन्य वर्ग के क्षेत्रफल के बीच का अनुपात 1:2 होगा।
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वर्गाकार/आयताकार तार की लम्बाई उस वर्ग या आयत के परिमाप के बराबर होती है।
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एक वृत्ताकार तार की लम्बाई उस वृत्त के परिमाप या परिधि के बराबर होती है।
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एक पहिए द्वारा एक चक्कर में तय की गई दूरी वृत्ताकार पहिए की परिधि के समान होगी।
त्रिभुज (Triangle) :- तीन भुजाओं से घिरे क्षेत्र को त्रिभुज कहते हैं।
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त्रिभुज का क्षेत्रफल आधार × ऊंचाई
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Triangle का परिमाप = सभी भुजाओं का योग
समकोण त्रिभुज (Right-angle Triangle) :- जिस त्रिभुज का एक कोण समकोण अर्थात् 90º होता है। इस त्रिभुज में समकोण के सामने वाली भुजा को कर्ण कहते हैं।
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(कर्ण)2 = (लम्ब)2 + (आधार)2
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समकोण त्रिभुज का क्षेत्रफल = आधार × लम्ब
समबाहु त्रिभुज (Equilateral Triangle) :- जिस त्रिभुज की सभी भुजाएं समान हो तथा प्रत्येक कोण 60º होता है।
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समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल =(भुजा)2
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समबाहु त्रिभुज का परिमाप = 3 × एक भुजा
समद्विबाहु त्रिभुज (Isosceles Triangle) :- जिस त्रिभुज की केवल दो भुजाएं समान हो वह समद्विबाहु त्रिभुज कहलाता है।
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समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप = 2a + b
विषमबाहु त्रिभुज (Scalene Triangle) :- जिस त्रिभुज की सभी भुजाएं असमान हों।
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Area Formulas in Maths
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Area is the size of a two-dimensional surface. It is defined as the amount of two-dimensional space occupied by an object. The area of a shape can be determined by placing the shape over a grid and counting the number of squares that covers the entire space.
Figures | Area Formula | Variables |
Area of Rectangle | Area = l × w | l = length
w = width |
Area of Square | Area = a2 | a = sides of square |
Area of a Triangle | Area = 12bh | b = base h = height |
Area of a Circle | Area = πr2 | r= radius of circle |
Area of a Trapezoid | Area =12(a + b)h | a =base 1 b = base 2 h = vertical height |
Area of Ellipse | Area = πab | a = radius of major axis b = area of minor axis |
त्रिकोणमिति
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कोण, त्रिकोणमिति अनुपात एवं संबंध
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Relationship in Trigonometry formula
No.-1. Sin θ = 1 / cosec θ
No.-2. cosec θ = 1 / Sin θ
No.-3. cos θ = 1 / sec θ
No.-4. sec θ = 1/ cos θ
No.-5. sin θ.cosec θ = 1
No.-6. cos θ.sec θ = 1
No.-7. tan θ.cot θ = 1
No.-8. tan θ = sin θ / cos θ
No.-9. cot θ = cos θ / sin θ
No.-10. tan θ = 1 / cot θ
No.-11. cot θ= 1 / tan θ
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अंकगणित
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गणितीय सांकेतिक चिन्ह
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माप व तौल
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संख्याएं
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वर्ग एवं वर्गमूल
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घन एवं घनमूल
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अनुपात एवं समानुपात
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औषत
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महत्तम समापवर्तक एवं लघुत्तम समापवर्त्य
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काम और समय
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समय, दूरी और चाल
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धाराप्रवाह
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लाभ और हानि
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कोष्ठक
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भिन्न
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प्रतिशतता
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साधारण ब्याज
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चक्रवृद्धि ब्याज
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साझा
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बट्टा
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घड़ी
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कैलेंडर
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Common maths formulas PDF
सर्वसमिकाएँ
उभयनिष्ट गुणक
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c(a+b) = ca + cb
द्विपद का वर्ग
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(a+b)2 = a2 + 2ab + b2
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(a-b)2 = a2 – 2ab + b2
दो पदों के योग एवं अन्तर का गुणनफल (वर्गान्तर सूत्र)
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a2 – b2 = (a+b) (a-b)
अन्यान्य सर्वसमिकाएँ (घनों का योग व अंतर)
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a3 – b3 = (a-b) (a2 + ab + b2)
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a3 + b3 = (a+b) (a2 – ab + b2)
द्विपद का घन
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(a + b)3 = a3 + 3a2b + 3ab2 + b3
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(a – b)3 = a3 – 3a2b + 3ab2 – b3
बहुपद का वर्ग
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(a + b + c)2 = a2 + b2 + c2 + 2ab + 2bc + 2ca
दो द्विपदों का गुणन जिनमें एक समान पद हो
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(x + a )(x + b ) = x2 + (a + b )x + ab
गाउस (Gauss) की सर्वसमिका
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a3 + b3 + c3 – 3abc = (a+b+c) (a2 + b2 + c2 – ab -bc – ca)
लिगेन्द्र (Legendre) सर्वसमिका
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(a+b)2 + (a-b)2 = 2(a2 + b2)
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(a+b)2 – (a-b)2 = 4ab
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(a+b)4 – (a-b)4 = 8ab(a2 + b2)
लाग्रेंज (Lagrange) की सर्वसमिका
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(a2 + b2)(x2 + y2) = (ax + by)2 + (ay – bx)2
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(a2 + b2 + c2) (x2 + y2 + z2) = (ax + by + cz)2 + (ay – bx)2 + (az – cx)2 + (bz – cy )2
महत्तम समापवर्तक एवं लघुत्तम समापवर्त्य (H.C.F. and L.C.M. )
No.-1. महत्तम समापवर्तक – ‘ महत्तम समापवर्तक ’ वह अधिकता संख्या है , जो दी गई संख्याओं को पूर्णतया विभाजित करती है । जैसे – संख्याएँ 10 , 20 , 30 का महत्तम समापवर्तक 10 है ।
No.-2. समापवर्तक ( Common Factor ) – ऐसी संख्या जो दो या दो से अधिक संख्याओं में से प्रत्येक को पूरी – पूरी विभाजित करें , जैसे – 10 , 20 , 30 का समापवर्तक 2 , 5 , 10 है ।
No.-3. लघुत्तम समापवर्त्य – दो या दो से अधिक संख्याओं का ‘ लघुत्तम समापवर्त्य ’ वह छोटी – से – छोटी संख्या है , जो उन दी गई संख्या में से प्रत्येक से पूर्णतया विभाजित हो जाती है । जैसे – 3 , 5 , 6 का लघुतम समापवर्त्य 30 है , क्योंकि 30 को ये तीनों संख्याएँ क्रमशः विभाजित कर सकती हैं ।
No.-4. समापवर्त्य ( Common Multiple ) – एक संख्या जो दो या दो से अधिक संख्याओं में । से प्रत्येक से पूरी – पूरी विभाजित होती हो , तो वह संख्या उन संख्याओं की समापवर्त्य कहलाती है , जैसे – 3 , 5 , 6 का समापवर्त्य 30 , 60 , 90 आदि हैं ।
No.-5. अपवर्तक एवं अपवर्त्य ( Factor and Multiple ) – यदि एक संख्या m दूसरी संख्या n को पूरी – पूरी काटती है , तो m को n का अपवर्तक ( Factor ) तथा n को m का अपवर्त्य ( Multiple ) कहते हैं ।
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Number System in Hindi
We share गणित के सूत्र Class 10 or गणित के सूत्र Class 9 in Hindi and English. यह आपके गणित के सूत्र Class 8 व गणित के सूत्र Class 7 में भी बहुत काम आने वाले है.
No.-1. प्राकृत संख्याएँ (Natural Numbers): वस्तुओं को गिनने के लिए जिन संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, उन्हें गणन संख्याएँ या ‘प्राकृत संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- 1, 2, 3, 4, 5,6,7, . . . .
No.-2. पूर्ण संख्याएँ (Whole Numbers): प्राकृत संख्याओं में शून्य को मिलाने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं उन्हें ‘पूर्ण संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, . . . .
No.-3. पूर्णांक संख्याएँ (Integers):प्राकृत संख्याओं में शून्य एवं ऋणात्मक संख्याओं को मिलाने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, उन्हें ‘पूर्णांक संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, . . . .
No.-4. सम संख्याएँ (Even Numbers): वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित होती हैं उन्हें ‘सम संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे – 2, 4, 6, 8, . . .
No.-5. विषम संख्याएँ (Odd Numbers) : वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित नहीं होती हैं उन्हें ‘विषम संख्याएँ ’ कहते हैं।
जैसे- 1, 3, 5, 11, 17, 29, 39 , . . . .
No.-6. अभाज्य संख्याएँ (Prime Numbers): वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अलावा अन्य किसी संख्या से विभक्त नहीं होती हैं उन्हें ‘अभाज्य संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- 2, 3, 7, 11, 13, 17 ……….
नोट -‘1’ न तो अभाज्य संख्या है और न ही भाज्य संख्या
No.-7. भाज्य संख्याएँ (Composite Numbers): वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अलावा अन्य किसी संख्या से पूर्णतः विभक्त हो जाती हैं ,उन्हें ‘भाज्य संख्याएँ ’ कहते हैं।
जैसे- 4, 6, 8, 9, 10, …………
गणित के सूत्र
No.-8. असहभाज्य संख्याएँ (Co-Prime Numbers) : जब दो या दो से अधिक संख्याओं में कोई भी उभयनिष्ठ गुणनखंड न हो अथवा जिसका म.स. 1 हो ,वे एक साथ ‘सह-अभाज्य संख्याएँ’ कहलाती हैं।
जैसे- (4,9) , (12,25) ,(8,9,12) ।
No.-9. युग्म-अभाज्य संख्याएँ : ऐसी अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच का अंतर 2 हो ‘युग्म-अभाज्य संख्याएँ’ कहलाती हैं।
जैसे- 11, 13
Mathematics hand written notes
सांख्यिकी
- वर्गीकरण एवं अवर्गीकरण आंकड़े
- जन्म – मृत्यु सांख्यिकी
निर्देशांक ज्यामिति
- कार्तीय तल, सरल रेखा, त्रिभुज के केंद्र, परिकेंद्र आदि
सरणी
- लघुगणक
- प्राकृतिक कोज्या
- प्रति लघुगणक
- प्राकृतिक ज्या
- प्राकृतिक स्पृज्या
Some Important Books for Competitive Exam:
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Latest Lucent GK (General Knowledge) PDF
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Black book of general awareness pdf free download
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Coding Decoding difficult questions
-
Orient Blackswan School Atlas E-Book for UPSC
-
Modern Indian History Class Notes E-Book
-
Indian Constitution– Parts Fundamental Rights and Schedules
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Coding Decoding Practice Questions
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1000 One liner Lucent gk questions in Hindi
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Quantitative Aptitude E-Book
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The Hindu Vocabulary PDF Download 2020
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Top 100 general science questions and answers
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